इक चुभन है कि जो बेचैन किए रहती है
ऐसा लगता है कि कुछ टूट गया है मुझ में
इरफ़ान सत्तार
दिल को इस तरह देखने वाले
दिल अगर बे-क़रार हो जाए
जलालुद्दीन अकबर
नहीं इलाज-ए-ग़म-ए-हिज्र-ए-यार क्या कीजे
तड़प रहा है दिल-ए-बे-क़रार किया कीजे
जिगर बरेलवी
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
दिल प्यार की नज़र के लिए बे-क़रार है
इक तीर इस तरफ़ भी ये ताज़ा शिकार है
लाला माधव राम जौहर
रात जाती है मान लो कहना
देर से दिल है बे-क़रार अपना
लाला माधव राम जौहर
समझा लिया फ़रेब से मुझ को तो आप ने
दिल से तो पूछ लीजिए क्यूँ बे-क़रार है
लाला माधव राम जौहर