EN اردو
विकास शर्मा राज़ शायरी | शाही शायरी

विकास शर्मा राज़ शेर

32 शेर

जिसे देखो ग़ज़ल पहने हुए है
बहुत सस्ता ये ज़ेवर वो गया है

विकास शर्मा राज़




जिन का सूझा न कुछ जवाब हमें
उन सवालों पे हँस दिए हम लोग

विकास शर्मा राज़




इश्क़ बीनाई बढ़ा देता है
जाने क्या क्या नज़र आता है मुझे

विकास शर्मा राज़




इरादा तो नहीं है ख़ुद-कुशी का
मगर मैं ज़िंदगी से ख़ुश नहीं हूँ

विकास शर्मा राज़




हमारे दरमियाँ जो उठ रही थी
वो इक दीवार पूरी हो गई है

विकास शर्मा राज़




घर में वही पीली तन्हाई रहती है
दीवारों के रंग बदलते रहते हैं

विकास शर्मा राज़




फ़क़त ज़ंजीर बदली जा रही थी
मैं समझा था रिहाई हो गई है

विकास शर्मा राज़




एक किरन फिर मुझ को वापस खींच गई
में बस जिस्म से बाहर आने वाला था

विकास शर्मा राज़




एक बरस और बीत गया
कब तक ख़ाक उड़ानी है

विकास शर्मा राज़