देखना चाहता हूँ गुम हो कर
क्या कोई ढूँड के लाता है मुझे
विकास शर्मा राज़
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देखना चाहता हूँ गुम हो कर
क्या कोई ढूँड के लाता है मुझे
विकास शर्मा राज़
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दश्त की ख़ाक भी छानी है
घर सी कहाँ वीरानी है
विकास शर्मा राज़
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बला का हब्स था पर नींद टूटती ही न थी
न कोई दर न दरीचा फ़सील-ए-ख़्वाब में था
विकास शर्मा राज़
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असर है ये हमारी दस्तकों का
जहाँ दीवार थी दर हो गया है
विकास शर्मा राज़
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