हम दुनिया से जब तंग आया करते हैं
अपने साथ इक शाम मनाया करते हैं
तैमूर हसन
ख़ुशी ज़रूर थी 'तैमूर' दिन निकलने की
मगर ये ग़म भी सिवा था कि रात बीत गई
तैमूर हसन
मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है
तुझे दी है कितनी कड़ी सज़ा तुझे इल्म है
तैमूर हसन
मकाँ से होगा कभी ला-मकान से होगा
मिरा ये म'अरका दोनों जहान से होगा
तैमूर हसन
मिरी तवज्जोह फ़क़त मिरे काम पर रहेगी
मैं ख़ुद को साबित करूँगा दावा नहीं करूँगा
तैमूर हसन
फिर जो करने लगा है तू व'अदा
क्या मुकरने का फिर इरादा है
तैमूर हसन
सफ़र में होती है पहचान कौन कैसा है
ये आरज़ू थी मिरे साथ तू सफ़र करता
तैमूर हसन
सूरज के उस जानिब बसने वाले लोग
अक्सर हम को पास बुलाया करते हैं
तैमूर हसन
तुझे मैं अपना नहीं समझता इसी लिए तो
ज़माने तुझ से मैं कोई शिकवा नहीं करूँगा
तैमूर हसन