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तअशशुक़ लखनवी शायरी | शाही शायरी

तअशशुक़ लखनवी शेर

29 शेर

बढ़ते बढ़ते आतिश-ए-रुख़्सार लौ देने लगी
रफ़्ता रफ़्ता कान के मोती शरारे हो गए

तअशशुक़ लखनवी




अदम से दहर में आना किसे गवारा था
कशाँ कशाँ मुझे लाई है आरज़ू तेरी

तअशशुक़ लखनवी