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सिराज औरंगाबादी शायरी | शाही शायरी

सिराज औरंगाबादी शेर

101 शेर

ज़ि-बस काफ़िर-अदायों ने चलाए संग-ए-बे-रहमी
अगर सब जम'अ करता मैं तो बुत-ख़ाने हुए होते

सिराज औरंगाबादी




ज़िंदगानी दर्द-ए-सर है यार बिन
कुइ हमारे सर कूँ आ कर झाड़ दे

सिराज औरंगाबादी