बदलती रुत का नौहा सुन रहा है
नदी सोई है जंगल जागता है
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अपनी पहचान भीड़ में खो कर
ख़ुद को कमरों में ढूँडते हैं लोग
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
अपने अफ़्साने की शोहरत उसे मंज़ूर न थी
उस ने किरदार बदल कर मिरा क़िस्सा लिख्खा
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| Shohrat |
| 2 लाइन शायरी |
आरज़ू थी एक दिन तुझ से मिलूँ
मिल गया तो सोचता हूँ क्या करूँ
शीन काफ़ निज़ाम
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |