शैख़ पर हाथ उठाने के नहीं हम क़ाएल
हाथ उठाने की जो ठानी है तो बातिल से उठा
शाद आरफ़ी
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तुम सलामत रहो क़यामत तक
और क़यामत कभी न आए 'शाद'
शाद आरफ़ी
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