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सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी शायरी | शाही शायरी

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी शेर

29 शेर

ऐ शैख़ अपना जुब्बा-ए-अक़्दस सँभालिये
मस्त आ रहे हैं चाक गरेबाँ किए हुए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी




आशिक़-मिज़ाज रहते हैं हर वक़्त ताक में
सीना को इस तरह से उभारा न कीजिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी