ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
राहत इंदौरी
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
राहत इंदौरी
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
राहत इंदौरी
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
राहत इंदौरी
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
राहत इंदौरी
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
राहत इंदौरी
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
राहत इंदौरी
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
राहत इंदौरी
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
राहत इंदौरी