ये अब घरों में न पानी न धूप है न जगह
ज़मीं ने 'तल्ख़' ये शहरों को बद-दुआ दी है
मनमोहन तल्ख़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ये दिल अब मुझ से थोड़ी देर सुस्ताने को कहता है
और आँखें मूँद कर हर बात दोहराने को कहता है
मनमोहन तल्ख़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ये 'तल्ख़' किया क्या है ख़ुद से भी गए तुम तो
मरना ही किसी पर था तुम ख़ुद पे मरे होते
मनमोहन तल्ख़
टैग:
| 2 लाइन शायरी |