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ख़ुशबीर सिंह शाद शायरी | शाही शायरी

ख़ुशबीर सिंह शाद शेर

36 शेर

अँधेरों में भटकना है परेशानी में रहना है
मैं जुगनू हूँ मुझे इक शब की वीरानी में रहना है

ख़ुशबीर सिंह शाद




ख़ुशियाँ देते देते अक्सर ख़ुद ग़म में मर जाते हैं
रेशम बुनने वाले कीड़े रेशम में मर जाते हैं

ख़ुशबीर सिंह शाद




कोई भी यक़ीं दिल को 'शाद' कर नहीं सकता
रूह में उतर जाए जब गुमाँ की तन्हाई

ख़ुशबीर सिंह शाद




कोई सवाल न कर और कोई जवाब न पूछ
तू मुझ से अहद-ए-गुज़शता का अब हिसाब न पूछ

ख़ुशबीर सिंह शाद




कुछ तलब में भी इज़ाफ़ा करती हैं महरूमियाँ
प्यास का एहसास बढ़ जाता है सहरा देख कर

ख़ुशबीर सिंह शाद




मैं अपने रू-ब-रू हूँ और कुछ हैरत-ज़दा हूँ मैं
न जाने अक्स हूँ चेहरा हूँ या फिर आइना हूँ मैं

ख़ुशबीर सिंह शाद




मैं बार-हा तिरी यादों में इस तरह खोया
कि जैसे कोई नदी जंगलों में गुम हो जाए

ख़ुशबीर सिंह शाद




मैं कब से नींद का मारा हुआ हूँ और कब से
ये मेरी जागती आँखें हैं महव-ए-ख़्वाब न पूछ

ख़ुशबीर सिंह शाद




मैं ने तो तसव्वुर में और अक्स देखा था
फ़िक्र मुख़्तलिफ़ क्यूँ है शाएरी के पैकर में

ख़ुशबीर सिंह शाद