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इस्माइल मेरठी शायरी | शाही शायरी

इस्माइल मेरठी शेर

55 शेर

दिलबरी जज़्ब-ए-मोहब्बत का करिश्मा है फ़क़त
कुछ करामत नहीं जादू नहीं एजाज़ नहीं

इस्माइल मेरठी




दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं

इस्माइल मेरठी




गर देखिए तो ख़ातिर-ए-नाशाद शाद है
सच पूछिए तो है दिल-ए-नाकाम काम का

इस्माइल मेरठी




गर ख़ंदा याद आए तो सीने को चाक कर
गर ग़म्ज़ा याद आए तो ज़ख़्म-ए-सिनाँ उठा

इस्माइल मेरठी




हब्स-ए-दवाम तो नहीं दुनिया कि मर रहूँ
काहे को घर ख़याल करूँ रहगुज़र को मैं

इस्माइल मेरठी




है आज रुख़ हवा का मुआफ़िक़ तो चल निकल
कल की किसे ख़बर है किधर की हवा चले

इस्माइल मेरठी




आग़ाज़-ए-इश्क़ उम्र का अंजाम हो गया
नाकामियों के ग़म में मिरा काम हो गया

इस्माइल मेरठी




है अश्क-ओ-आह रास हमारे मिज़ाज को
यानी पले हुए इसी आब-ओ-हवा के हैं

इस्माइल मेरठी




है इस अंजुमन में यकसाँ अदम ओ वजूद मेरा
कि जो मैं यहाँ न होता यही कारोबार होता

इस्माइल मेरठी