'अशहर' बहुत सी पत्तियाँ शाख़ों से छिन गईं
तफ़्सीर क्या करें कि हवा तेज़ अब भी है
इक़बाल अशहर
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आरज़ू है सूरज को आइना दिखाने की
रौशनी की सोहबत में एक दिन गुज़ारा है
इक़बाल अशहर
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