कहीं ये तर्क-ए-मोहब्बत की इब्तिदा तो नहीं
वो मुझ को याद कभी इस क़दर नहीं आए
हफ़ीज़ होशियारपुरी
अब यही मेरे मशाग़िल रह गए
सोचना और जानिब-ए-दर देखना
हफ़ीज़ होशियारपुरी
हम को मंज़िल ने भी गुमराह किया
रास्ते निकले कई मंज़िल से
हफ़ीज़ होशियारपुरी
ग़म-ए-ज़िंदगानी के सब सिलसिले
बिल-आख़िर ग़म-ए-इश्क़ से जा मिले
हफ़ीज़ होशियारपुरी
ग़म-ए-ज़माना तिरी ज़ुल्मतें ही क्या कम थीं
कि बढ़ चले हैं अब इन गेसुओं के भी साए
हफ़ीज़ होशियारपुरी
दुनिया में हैं काम बहुत
मुझ को इतना याद न आ
हफ़ीज़ होशियारपुरी
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
friendship is commonplace my dear
but friends are hard to find I fea
हफ़ीज़ होशियारपुरी
दिल से आती है बात लब पे 'हफ़ीज़'
बात दिल में कहाँ से आती है
हफ़ीज़ होशियारपुरी
दिल में इक शोर सा उठा था कभी
फिर ये हंगामा उम्र भर ही रहा
हफ़ीज़ होशियारपुरी