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गणेश बिहारी तर्ज़ शायरी | शाही शायरी

गणेश बिहारी तर्ज़ शेर

11 शेर

सुब्ह हैं सज्दे में हम तो शाम साक़ी के हुज़ूर
बंदगी अपनी जगह और मय-कशी अपनी जगह

गणेश बिहारी तर्ज़




ये महल ये माल ओ दौलत सब यहीं रह जाएँगे
हाथ आएगी फ़क़त दो गज़ ज़मीं मरने के बाद

गणेश बिहारी तर्ज़