अच्छा हुआ मैं वक़्त के मेहवर से कट गया
क़तरा गुहर बना जो समुंदर से कट गया
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
अब मुनासिब नहीं हम-अस्र ग़ज़ल को यारो
किसी बजती हुई पाज़ेब का घुंघरू लिखना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |