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फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी शायरी | शाही शायरी

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी शेर

29 शेर

अच्छा हुआ मैं वक़्त के मेहवर से कट गया
क़तरा गुहर बना जो समुंदर से कट गया

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी




अब मुनासिब नहीं हम-अस्र ग़ज़ल को यारो
किसी बजती हुई पाज़ेब का घुंघरू लिखना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी