क्या हाथ उठाइए दुआ को
हम हाथ उठा चुके दुआ से
अज़ीज़ क़ैसी
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नज़र उठाओ तो झूम जाएँ नज़र झुकाओ तो डगमगाएँ
तुम्हारी नज़रों से सीखते हैं तरीक़ मौत-ओ-हयात के हम
अज़ीज़ क़ैसी
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तुझे सीने से लगा लूँ तुझे दिल में रख लूँ
दर्द की छाँव में ज़ख़्मों की अमाँ में आ जा
अज़ीज़ क़ैसी
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ये रास रंग ये मेल मिलन इक हाथ में चाँद इक में सूरज
इक रात का मौज मज़ा सारा इक दिन का सैर-सपाटा है
अज़ीज़ क़ैसी
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