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वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा | शाही शायरी
walihana mere dil mein meri jaan mein aa ja

ग़ज़ल

वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा

अज़ीज़ क़ैसी

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वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा
मेरे ईमाँ में मिरे वहम-ओ-गुमाँ में आ जा

मूँद इन आँखों को साहब नज़राँ में आ जा
हद्द-ए-नज़्ज़ारगी-ए-कौन-ओ-मकाँ में आ जा

आयत-ए-रहमत-ए-यज़्दाँ की तरह दिल में उतर
एक इक लफ़्ज़ में एक एक बयाँ में आ जा

तुझे सीने से लगा लूँ तुझे दिल में रख लूँ
दर्द की छाँव में ज़ख़्मों की अमाँ में आ जा

कुछ तो ईमा-ए-करम हो निगहा-ए-ज़ख़्म-नवाज़
अब के अबरू-ए-कशीदा की कमाँ में आ जा

रौनक़-ए-जाँ न सही सूरत-ए-आसेब सही
मेरे उजड़े हुए तारीक मकाँ में आ जा

है तमन्ना-ए-सुकूँ दिल को तो 'क़ैसी' की तरह
हल्क़ा-ए-दर्द-ए-मोहब्बत-ज़दगाँ में आ जा