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अज़ीज़ हैदराबादी शायरी | शाही शायरी

अज़ीज़ हैदराबादी शेर

25 शेर

देखता हूँ उन की सूरत देख कर
धूप में तारे नज़र आते हैं मुझे

अज़ीज़ हैदराबादी




दर्द सहने के लिए सदमे उठाने के लिए
उन से दिल अपना मुझे वापस तलब करना पड़ा

अज़ीज़ हैदराबादी




दम-ए-तकल्लुम किसी के आगे हम अपने दिल को भी देते हौके
मिलाते चुन चुन के लफ़्ज़ ऐसे सवाल गोया जवाब होता

अज़ीज़ हैदराबादी




बहुत कुछ देखना है आगे आगे
अभी दिल ने मिरे देखा ही क्या है

अज़ीज़ हैदराबादी




अयाँ या निहाँ इक नज़र देख लेते
किसी सूरत उन को मगर देख लेते

अज़ीज़ हैदराबादी




अभी कुछ है अभी कुछ है अभी कुछ
तिरी काफ़िर-नज़र क्या जाने क्या है

अज़ीज़ हैदराबादी




आराम अपने बस का है बस मैं नहीं है किया
गुलशन में क्या धरा है क़फ़स में नहीं है क्या

अज़ीज़ हैदराबादी