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आसिमा ताहिर शायरी | शाही शायरी

आसिमा ताहिर शेर

12 शेर

नहीं वो इतना भी पागल नहीं था
जो मर जाता मिरी वाबस्तगी में

आसिमा ताहिर




शाम खुलती है तेरे आने से
लब पे तेरा सवाल रखती है

आसिमा ताहिर




शहज़ादी के कानों में जो बात कही थी इक तू ने
ब'अद तिरे वो बात तिरे ही अफ़्सानों में गूँजती है

आसिमा ताहिर