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अनवर देहलवी शायरी | शाही शायरी

अनवर देहलवी शेर

28 शेर

किस सोच में हैं आइने को आप देख कर
मेरी तरफ़ तो देखिए सरकार क्या हुआ

अनवर देहलवी




अल्लाह-रे फ़र्त-ए-शौक़-ए-असीरी की शौक़ में
पहरों उठा उठा के सलासिल को देखना

अनवर देहलवी




कैसी हया कहाँ की वफ़ा पास-ए-ख़ल्क़ क्या
हाँ ये सही कि आप को आना यहाँ न था

अनवर देहलवी




कैसी हया कहाँ की वफ़ा पास-ए-ख़ल्क़ क्या
हाँ ये सही कि आप को आना यहाँ न था

अनवर देहलवी




हश्र को मानता हूँ बे-देखे
हाए हंगामा उस की महफ़िल का

अनवर देहलवी




हर शय को इंतिहा है यक़ीं है कि वस्ल हो
अर्सा बहुत खिंचा है मिरी इंतिज़ार का

अनवर देहलवी




गोया कि सब ग़लत हैं मिरी बद-गुमानियाँ
देखे तो कोई शक्ल तुम्हारी हया के साथ

अनवर देहलवी




गरचे क्या कुछ थे मगर आप को कुछ भी न गिना
इश्क़ बरहम-ज़न-ए-काशाना-ए-पिंदार रहा

अनवर देहलवी




बे-तरह पड़ती है नज़र उन की
ख़ैर दिल की नज़र नहीं आती

अनवर देहलवी