हुस्न वालों में कोई ऐसा हो
जो मुझे मुझ से चुरा कर ले जाए
आफ़ताब हुसैन
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जो कुछ निगाह में है हक़ीक़त में वो नहीं
जो तेरे सामने है तमाशा कुछ और है
आफ़ताब हुसैन
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कब भटक जाए 'आफ़्ताब' हुसैन
आदमी का कोई भरोसा नहीं
आफ़ताब हुसैन
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