EN اردو
अपना दीवाना बना कर ले जाए | शाही शायरी
apna diwana bana kar le jae

ग़ज़ल

अपना दीवाना बना कर ले जाए

आफ़ताब हुसैन

;

अपना दीवाना बना कर ले जाए
कभी वो आए और आ कर ले जाए

रोज़ बुनियाद उठाता हूँ नई
रोज़ सैलाब बहा कर ले जाए

हुस्न वालों में कोई ऐसा हो
जो मुझे मुझ से चुरा कर ले जाए

रंग-ए-रुख़्सार पे इतराओ नहीं
जाने कब वक़्त उड़ा कर ले जाए

किसे मालूम कहाँ कौन किसे
अपने रस्ते पे लगा कर ले जाए

'आफ़्ताब' एक तो ऐसा हो कहीं
जो हमें अपना बना कर ले जाए