दिल-ए-मुज़्तर वफ़ा के बाब में ये जल्द-बाज़ी क्या
ज़रा रुक जाएँ और देखें नतीजा क्या निकलता है
आफ़ताब हुसैन
दिलों के बाब में क्या दख़्ल 'आफ़्ताब-हुसैन'
सो बात फैल गई मुख़्तसर बनाते हुए
आफ़ताब हुसैन
दुनिया से अलैहदगी का रास्ता
दुनिया से निबाह कर के देखा
आफ़ताब हुसैन
अभी दिलों की तनाबों में सख़्तियाँ हैं बहुत
अभी हमारी दुआ में असर नहीं आया
आफ़ताब हुसैन
फ़िराक़ मौसम की चिलमनों से विसाल लम्हे चमक उठेंगे
उदास शामों में काग़ज़-ए-दिल पे गुज़रे वक़्तों के बाब लिखना
आफ़ताब हुसैन
गए मंज़रों से ये क्या उड़ा है निगाह में
कोई अक्स है कि ग़ुबार सा है निगाह में
आफ़ताब हुसैन
गए ज़मानों की दर्द कजलाई भूली बिसरी किताब पढ़ कर
जो हो सके तुम से आने वाले दिनों के रंगीन ख़्वाब लिखना
आफ़ताब हुसैन
हाल हमारा पूछने वाले
क्या बतलाएँ सब अच्छा है
आफ़ताब हुसैन
हर एक गाम उलझता हूँ अपने आप से मैं
वो तीर हूँ जो ख़ुद अपनी कमाँ की ज़द में है
आफ़ताब हुसैन