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Rahbar शायरी | शाही शायरी

Rahbar

3 शेर

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए

अल्लामा इक़बाल




दिल की राहें जुदा हैं दुनिया से
कोई भी राहबर नहीं होता

फ़रहत कानपुरी




मुझे ऐ रहनुमा अब छोड़ तन्हा
मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ

हैरत गोंडवी