मेहनत से मिल गया जो सफ़ीने के बीच था
दरिया-ए-इत्र मेरे पसीने के बीच था
अबु तुराब
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मेहनत से है अज़्मत कि ज़माने में नगीं को
बे-काविश-ए-सीना न कभी नामवरी दी
बहादुर शाह ज़फ़र
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