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Mehnat शायरी | शाही शायरी

Mehnat

2 शेर

मेहनत से मिल गया जो सफ़ीने के बीच था
दरिया-ए-इत्र मेरे पसीने के बीच था

अबु तुराब




मेहनत से है अज़्मत कि ज़माने में नगीं को
बे-काविश-ए-सीना न कभी नामवरी दी

बहादुर शाह ज़फ़र