जन्नत मिली झूटों को अगर झूट के बदले
सच्चों को सज़ा में है जहन्नम भी गवारा
अहमद नदीम क़ासमी
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ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ
अल्लामा इक़बाल
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कहते हैं जिस को जन्नत वो इक झलक है तेरी
सब वाइज़ों की बाक़ी रंगीं-बयानियाँ हैं
अल्ताफ़ हुसैन हाली
जिस में लाखों बरस की हूरें हों
ऐसी जन्नत को क्या करे कोई
where virgins aged a million years reside
hopes for such a heaven why abide
दाग़ देहलवी
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अपनी जन्नत मुझे दिखला न सका तू वाइज़
कूचा-ए-यार में चल देख ले जन्नत मेरी
फ़ानी बदायुनी
गुनाहगार के दिल से न बच के चल ज़ाहिद
यहीं कहीं तिरी जन्नत भी पाई जाती है
जिगर मुरादाबादी