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वहीदुद्दीन सलीम शायरी | शाही शायरी

वहीदुद्दीन सलीम शेर

2 शेर

भला वो ख़ातिर-ए-आज़ुर्दा की तस्कीन क्या जानें
जिन्हों ने ख़ुद-नुमाई ख़ुद-परस्ती ज़िंदगी भर की

वहीदुद्दीन सलीम




किस क़दर तुंद भरी है मिरे पैमाने में
कि छिड़क दूँ तो लगे आग अभी मयख़ाने में

वहीदुद्दीन सलीम