भला वो ख़ातिर-ए-आज़ुर्दा की तस्कीन क्या जानें
जिन्हों ने ख़ुद-नुमाई ख़ुद-परस्ती ज़िंदगी भर की
वहीदुद्दीन सलीम
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किस क़दर तुंद भरी है मिरे पैमाने में
कि छिड़क दूँ तो लगे आग अभी मयख़ाने में
वहीदुद्दीन सलीम
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