EN اردو
उरूज ज़ैदी बदायूनी शायरी | शाही शायरी

उरूज ज़ैदी बदायूनी शेर

3 शेर

गया क़रीब जो परवाना रह गया जल कर
जमाल ख़ास हदों तक जमाल होता है

उरूज ज़ैदी बदायूनी




इस दिलबरी की शान के क़ुर्बान जाइए
अब दिल-दही को आए हैं जब दिल नहीं रहा

उरूज ज़ैदी बदायूनी




क़दम क़दम पे मैं सँभला हूँ ठोकरें खा कर
ये ठोकरों ने बताया ग़लत-रवी क्या है

उरूज ज़ैदी बदायूनी