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किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है | शाही शायरी
kise bataun ki gham kya hai sarKHushi kya hai

ग़ज़ल

किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

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किसे बताऊँ कि ग़म क्या है सरख़ुशी क्या है
अभी ज़माने का मेआर-ए-आगही क्या है

क़दम क़दम पे मैं सँभला हूँ ठोकरें खा कर
ये ठोकरों ने बताया ग़लत-रवी क्या है

ज़मीं पे लाला-ओ-गुल आसमाँ पे माह ओ नुजूम
निगाह-ए-हुस्न-ए-तलब के लिए कमी क्या है

कमंद डाल रहा है जो चाँद तारों पर
ख़ुदा ही जाने कि तक़दीर-ए-आदमी क्या है

नफ़्स की आमद-ओ-शुद पर भी इख़्तियार नहीं
ये ज़िंदगी है तो मक़्सूद-ए-ज़िंदगी क्या है

वफ़ा-परस्तों से क्यूँ ज़िद है उस पे सब चुप हैं
सवाल ये है कि इस का जवाब ही क्या है

'उरूज' तीरगी-ए-शब का एहतिराम करो
इसी से तुम ने ये जाना कि तीरगी क्या है