चल कर कभी हमारे अंधेरे भी देखिए
हम लोग रौशनी में बड़े पुर-वक़ार हैं
तसनीम फ़ारूक़ी
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रात मेरे पास तुझ को देख कर
देर तक रूठी रहीं तन्हाइयाँ
तसनीम फ़ारूक़ी
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