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तारिक़ मतीन शायरी | शाही शायरी

तारिक़ मतीन शेर

2 शेर

कुछ और हो गई दुश्वार नेक-ओ-बद की तमीज़
कि अब तो ख़ैर के पर्दे में शर निकलता है

तारिक़ मतीन




मौत बर-हक़ है तो फिर मौत से डरना कैसा
एक हिजरत ही तो है नक़्ल-ए-मकानी ही तो है

तारिक़ मतीन