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तफ़ज़ील अहमद शायरी | शाही शायरी

तफ़ज़ील अहमद शेर

2 शेर

फ़ुरात-ए-चश्म पे है कर्बला की तुग़्यानी
दरून-ए-कूफ़ा-ए-दिल ईद करने आया हूँ

तफ़ज़ील अहमद




क्या शय है खींच लेती है शब को सर-ए-फ़लक
फिर सुब्ह जोड़ती है दोबारा ज़मीन से

तफ़ज़ील अहमद