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ताबिश सिद्दीक़ी शायरी | शाही शायरी

ताबिश सिद्दीक़ी शेर

2 शेर

ये हाल मिरा मेरी मोहब्बत का सिला है
जो अपने ही दामन से बुझा हो वो दिया हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी




ज़िंदा हूँ कि मरना मिरी क़िस्मत में लिखा है
हर रोज़ गुनाहों की सज़ा काट रहा हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी