इस क़दर ग़ौर से देखा है सरापा उस का
याद आता ही नहीं अब मुझे चेहरा उस का
सय्यद काशिफ़ रज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कभी कभी मुझे लगता है वो नहीं है वो
मगर कभी कभी लगता है वो वही तो नहीं
सय्यद काशिफ़ रज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
मैं अपने-आप से कम भी हूँ और ज़ियादा भी
वो जानता भी है मुझ को तो जानता क्या है
सय्यद काशिफ़ रज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
उस पे बस ऐसे ही घबराई हुई फिरती थी
आँख से हुस्न सिमटता ही नहीं था उस का
सय्यद काशिफ़ रज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
वो जो मक़ाम है तेरा मिरी कहानी में
उसी मक़ाम पे मैं तेरे तज़्किरे में रहूँ
सय्यद काशिफ़ रज़ा
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |