देख कर काली घटा अहल-ए-क़फ़स
और क्या करते तड़प कर रह गए
सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी
दिल की हर बात कह गए आँसू
गिर के आँखों से रह गए आँसू
सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी
हमें तो याद नहीं कोई लम्हा-ए-इशरत
कभी तुम्हीं ने किसी दिन हँसा दिया होगा
सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी
कमर बाँधो मुक़द्दर के सहारे बैठने वालो
शिकस्त-ए-रज़्म से राहों का पेच-ओ-ख़म न बदलेगा
सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी
फिरती है तो फिर जाए बदलती है तो बदले
दुनिया की नज़र है मिरी क़िस्मत तो नहीं है
सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी
तर्क-ए-उल्फ़त से मोहब्बत का लिखा मिट न सका
वही अफ़्सुर्दगी-ए-शाम-ओ-सहर आज भी है
सय्यद बासित हुसैन माहिर लखनवी