बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे
इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर
शिफ़ा कजगावन्वी
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देखो न ज़ात पात न नाम-ओ-नसब 'शिफ़ा'
पर दोस्त जब बनाओ तो किरदार देख कर
शिफ़ा कजगावन्वी
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ग़ैर से किया गिला करे कोई
जब कि अपने ही बेवफ़ा हो जाएँ
शिफ़ा कजगावन्वी
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