धोका था निगाहों का मगर ख़ूब था धोका
मुझ को तिरी नज़रों में मोहब्बत नज़र आई
शौकत थानवी
हमेशा ग़ैर की इज़्ज़त तिरी महफ़िल में होती है
तिरे कूचे में जा कर हम ज़लील-ओ-ख़्वार होते हैं
शौकत थानवी
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इन ही का नाम मोहब्बत इन ही का नाम जुनूँ
मिरी निगाह के धोके तिरी नज़र के फ़रेब
शौकत थानवी
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