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शमीम फ़ारूक़ी शायरी | शाही शायरी

शमीम फ़ारूक़ी शेर

2 शेर

दूर तक फैला हुआ है एक अन-जाना सा ख़ौफ़
इस से पहले ये समुंदर इस क़दर बरहम न था

शमीम फ़ारूक़ी




हसीन रुत है मगर कौन घर से निकलेगा
हर इक बदन में समाया हुआ है डर अब के

शमीम फ़ारूक़ी