क़सम ही नहीं है फ़क़त इस का शेवा
तग़ाफ़ुल भी है एक अंदाज़ उस का
शाकिर कलकत्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
रोने के बदले अपनी तबाही पे हँस दिया
'शाकिर' ने इस तरह गिला-ए-आसमाँ किया
शाकिर कलकत्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
ये माजरा-ए-मोहब्बत समझ में आ न सका
वो हाथ आए तो मैं हाथ उन्हें लगा न सका
शाकिर कलकत्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ज़रा चश्म-ए-करम से देख लो तुम
सहारा ढूँढता हूँ ज़िंदगी का
शाकिर कलकत्तवी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |