EN اردو
शफ़क़त काज़मी शायरी | शाही शायरी

शफ़क़त काज़मी शेर

2 शेर

कभी तो उन को हमारा ख़याल आएगा
हम इस उमीद पे तर्क-ए-वफ़ा नहीं करते

शफ़क़त काज़मी




नई बहार का मुज़्दा बजा सही लेकिन
अभी तो अगली बहारों का ज़ख़्म ताज़ा है

शफ़क़त काज़मी