मैं रोऊँ तो दर-ओ-दीवार मुझ पर हँसने लगते हैं
हँसूँ तो मेरे अंदर जाने क्या क्या टूट जाता है
सलीम साग़र
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मैं रोऊँ तो दर-ओ-दीवार मुझ पर हँसने लगते हैं
हँसूँ तो मेरे अंदर जाने क्या क्या टूट जाता है
सलीम साग़र