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सलीम बेताब शायरी | शाही शायरी

सलीम बेताब शेर

3 शेर

मैं ने तो यूँही राख में फेरी थीं उँगलियाँ
देखा जो ग़ौर से तिरी तस्वीर बन गई

सलीम बेताब




उस मुल्क में भी लोग क़यामत के हैं मुंकिर
जिस मुल्क के हर शहर में इक हश्र बपा है

सलीम बेताब




वो कौन है जो मिरे साथ साथ चलता है
ये देखने को कई बार रुक गया हूँ मैं

सलीम बेताब