मैं ने तो यूँही राख में फेरी थीं उँगलियाँ
देखा जो ग़ौर से तिरी तस्वीर बन गई
सलीम बेताब
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उस मुल्क में भी लोग क़यामत के हैं मुंकिर
जिस मुल्क के हर शहर में इक हश्र बपा है
सलीम बेताब
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वो कौन है जो मिरे साथ साथ चलता है
ये देखने को कई बार रुक गया हूँ मैं
सलीम बेताब
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