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सबा नुसरत शायरी | शाही शायरी

सबा नुसरत शेर

2 शेर

क्या ज़िक्र कि इस ज़ीस्त में कुछ खोया कि पाया
अब कुछ भी तो रक्खा नहीं इस सूद ओ ज़ियाँ में

सबा नुसरत




तुझ से दूरी और क़यामत लगती है
आपस में दो वक़्त जो मिलने लगते हैं

सबा नुसरत