इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो 
मारना दोस्त का भी जिस में रवा है लोगो
रज़िया फ़सीह अहमद
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                इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो 
मारना दोस्त का भी जिस में रवा है लोगो
रज़िया फ़सीह अहमद
जिस को तुम कहते हो ख़ुश-बख़्त सदा है मज़लूम 
जीना हर दौर में औरत का ख़ता है लोगो
रज़िया फ़सीह अहमद
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