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रज़ा मौरान्वी शायरी | शाही शायरी

रज़ा मौरान्वी शेर

2 शेर

बुलाते हैं हमें मेहनत-कशों के हाथ के छाले
चलो मुहताज के मुँह में निवाला रख दिया जाए

रज़ा मौरान्वी




ज़िंदगी अब इस क़दर सफ़्फ़ाक हो जाएगी क्या
भूक ही मज़दूर की ख़ूराक हो जाएगी क्या

रज़ा मौरान्वी