आज क़ातिल का गले पर मिरे ख़ंजर चमका
लिल्लाहिल-हम्द कि मेरा भी मुक़द्दर चमका
रौनक़ टोंकवी
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उड़ जाऊँगा बहार में मानिंद-ए-बू-ए-गुल
ज़ंजीर मेरे पा-ए-जुनूँ में हज़ार डाल
रौनक़ टोंकवी
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