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क़मर सिद्दीक़ी शायरी | शाही शायरी

क़मर सिद्दीक़ी शेर

1 शेर

ये इंतिज़ार की घड़ियाँ ये शब का सन्नाटा
इस एक शब में भरे हैं हज़ार साल के दिन

क़मर सिद्दीक़ी