जाती हुई मय्यत देख के भी वल्लाह तुम उठ कर आ न सके
दो चार क़दम तो दुश्मन भी तकलीफ़ गवारा करते हैं
क़मर जलालाबादी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कुछ तो है बात जो आती है क़ज़ा रुक रुक के
ज़िंदगी क़र्ज़ है क़िस्तों में अदा होती है
क़मर जलालाबादी
टैग:
| जिंदगी |
| 2 लाइन शायरी |
मिरे ख़ुदा मुझे थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे
उदास मेरे जनाज़े से जा रहा है कोई
क़मर जलालाबादी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
राह में उन से मुलाक़ात हो गई
जिस से डरते थे वही बात हो गई
क़मर जलालाबादी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
रफ़्ता रफ़्ता वो हमारे दिल के अरमाँ हो गए
पहले जाँ फिर जान-ए-जाँ फिर जान-ए-जानाँ हो गए
क़मर जलालाबादी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |